स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग (डीएचआर) स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के तत्वावधान में एम्स रायपुर में ‘एक्स्ट्राम्यूरल अनुदान और साक्ष्य आधारित चिकित्सा (व्यवस्थित समीक्षा से चयनित विषय) के लिए आवेदन कैसे करें’ विषय पर संकाय विकास कार्यक्रम | 24-25 अप्रैल, 2025 स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग (डीएचआर) स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से एम्स रायपुर द्वारा 24-25 अप्रैल 2025 को ‘एक्स्ट्राम्यूरल अनुदान और साक्ष्य आधारित चिकित्सा (व्यवस्थित समीक्षा से चयनित विषय) के लिए आवेदन कैसे करें’ विषय पर 2 दिवसीय संकाय विकास कार्यक्रम आयोजित किया गया। यह हाइब्रिड मोड (ऑन-साइट और ऑनलाइन) में था। हम इस आयोजन के लिए अनुदान प्रदान करने के लिए स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के आभारी हैं। इस कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह में एम्स रायपुर के माननीय निदेशक लेफ्टिनेंट जनरल अशोक जिंदल और माननीय अतिरिक्त महानिदेशक डॉ. (श्रीमती) संघमित्रा पति (ऑनलाइन मोड) की गरिमामयी उपस्थिति रही। इस अवसर पर डीन अकादमिक एम्स रायपुर डॉ. एली मोहपात्रा भी उपस्थित रहीं। उन्होंने इस कार्यशाला के लिए शुभकामनाएं व्यक्त कीं और आईसीएमआर, डीएसटी और डीबीटी जैसी केंद्रीय एजेंसियों से वित्त पोषण प्राप्त करने के लिए अनुसंधान में अच्छे अनुदान लेखन के महत्व पर बल दिया। उप निदेशक- डीएचआर, डॉ तुषार कर्मकार ने प्रतिभागियों को डीएचआर की मानव संसाधन विकास योजनाओं के बारे में बताया। डॉ विकास धीकाव, वैज्ञानिक ई और उप निदेशक, डीएचआर के साथ-साथ आयोजन अध्यक्ष डॉ आलोक अग्रवाल, प्रोफेसर और प्रमुख हड्डी रोग विभाग और डॉ सरिता अग्रवाल, प्रोफेसर और प्रमुख प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग ने इस कार्यशाला के आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। डॉ विकास धीकाव ने अनुदान लेखन की अनिवार्यता, मिश्रित शोध पद्धतियों और व्यवस्थित समीक्षा में विषयों पर तीन सत्र आयोजित किए। डीएचआर, आईसीएमआर और देश भर के प्रतिष्ठित संस्थानों के प्रतिष्ठित वक्ता अनुसंधान विधियों, सांख्यिकीय विधियों, नैदानिक परीक्षणों और नैतिक विचार पर इस कार्यशाला के लिए संसाधन संकाय थे। इस कार्यशाला में एम्स रायपुर और छत्तीसगढ़ तथा मध्य प्रदेश के आठ अन्य कॉलेजों के प्रतिभागियों ने भाग लिया। पूरे कार्यक्रम का संचालन आयोजन संयुक्त सचिव डॉ. अरुणिता जगजापे ने किया तथा आयोजन समिति के सदस्यों ने इस कार्यक्रम को सफल बनाने में अपना योगदान दिया। इस प्रकार यह कार्यशाला निश्चित रूप से छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में सर्वोत्तम साक्ष्य उत्पन्न करने के लिए शोध वातावरण तैयार करेगी।